लेखनी प्रतियोगिता -20-Feb-2024
डायरी के पन्ने
वो दिन भी कितना अच्छा था
वो दिन भी कितना खूबसूरत था
ना दिन में किसी का चिन्ता था
ना रातों में किसी का याद था
बस सुबह होने का इंतजार था
हो हमारा खेलने का सुरवात था
वो दिन याद है हमे जिस दिन
दोस्तो से झगड़ा होकर घर आते थे
दोस्तो को भी खिड़डी बोलकर
रोते - रोते घर आते थे
कितना अनोखा था ओ दोस्तों का प्यार
आज रूट भी जाते तो कल सुबह दोस्त मानने घर आते थे
ना होता उनके मेरे बिना सुबह..
ना मेरा भी दिन अच्छा होता था
आज याद आते है ओ दोस्त
जो हमे रुलाकर खुद रोते थे
अब कहा मिल पाएगा ऐसा दोस्त
जो हमारे रोने पर खुद आशू बहते थे
ना झूठ बोलने का राज़ था ..
ना सच बताने का खास बात था..
कल देखा मैंने आपने ..
पुराने डायरी का पहेला पेज को ..
ये दोस्त तेरा दिया हुआ ..
सुखा गुलाब था..
ये दोस्त तेरा दिया हुआ ..
सुखा गुलाब था..
_____ parmeshwar markande
Shnaya
21-Feb-2024 01:08 PM
Nice one
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Parmeshwar Kumar
21-Feb-2024 03:05 PM
Thank you
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Mohammed urooj khan
21-Feb-2024 12:20 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Parmeshwar Kumar
21-Feb-2024 03:06 PM
Thank you
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Feb-2024 09:11 AM
बेहतरीन
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Parmeshwar Kumar
21-Feb-2024 03:06 PM
Thank you
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